नेफ्रोटिक सिंड्रोम में रोगी के मूत्र से प्रोटीन निकलता है जिससे शरीर में प्रोटीन की कमी होने लगती है| ऐसा किडनी के क्लस्टर का सुचारु रूप से कार्य न करने से होता है | समय पर उपचार प्रारम्भ न करने से शरीर में सूजन बढ़ने लगती है, सूजन का होना शरीर में पानी की मात्रा का होना दर्शाता है|
छवि स्रोत: www.google.com
लक्षण
१.
आँखों
और
पैरों
में
सूजन
आना
(एडिमा)
२.
मूत्र
में
झाग
आना
(प्रोटीन का
होना
दर्शाता है)
३.
शरीर
में
पानी
की
वजह
से
अचानक
वजन
का
बहुत
तेजी
से
बढ़ना
४.
भूख
कम
लगना
५. थकावट जल्दी महसूस होना
इस सिंड्रोम में राहत की बात यह है कि इसमें मृत्यु दर न के बराबर ही है जिससे डरने की आशंका ख़त्म हो जाती है|
इसका कोई स्थाई इलाज़ तो नहीं है परन्तु प्रोटीन को बंद करने के लिए एस्टेरोइड मार्केट में उपलब्ध हैं| फिर भी अपने डॉक्टर के सलाह के बिना कोई भी दवा न लें, क्योंकि इन दवाओं के बहुत से दुष्प्रभाव भी हैं, खुद को डॉक्टर समझने की भूल ना करें|
अगर
परिवार
में
किसी
को
किडनी
की
समस्या
है
तो
उनके
बच्चों
में
नेफ्रोटिक सिंड्रोम होने
की
सम्भावना अधिक
होती
है,
परन्तु
ऐसा
नहीं
है
कि
हर
बार
ऐसा
हो|
बहुत
से
केसेस
में
घर
में
कोई
किडनी
रोगी
ना
होने
पर
भी
उनके
बच्चों
में
नेफ्रोटिक होना
आम
बात
है|
किस डॉक्टर से संपर्क करें?
- प्रथम प्राथमिकता:
बच्चों का किडनी विशेषज्ञ डॉक्टर (पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर), जो कि भारत में आसानी से मिलना बहुत कठिन है.
- द्वितीय प्राथमिकता:
बच्चों का विशेषज्ञ डॉक्टर (पेडिअट्रिशन), आसानी से हर शहर में मिल जाते हैं.
Comments
Post a Comment